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494 / हीर / वारिस शाह

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अज किसे भाबी तेरे नाल कीती चार यार फड़े गुनहगारियां नूं
भाबी अज तेरे नाल ओह बनी दुध हथ लगा दुधा धारियां नूं
तेरे नैनां दियां नोकां दे खत बने वाढी मिलदीयां है जिवें कटारियां नूं
हुकम होर दा होर अज हो गया अज मिली पंजाब कंधारियां नूं
तेरे जोबन दा रंग किस लुट्ट लया हनुमान जियो लंक उतारयां नूं
हथ लग गई सैं किसे यार ताईं जियों कसतूरी दे भाओ बपारियां नूं
तेरी त्रकड़ी दियां कसां ढिलियां ने किसे तोलिया लौंग सपारियां नूं
चूड़े बिड़े ते हार शिंगार टुटे ठोकर लग गई मिना कारियां नूं
वारस शाह जिन्हां मलें अतर शिशें उन्हां की करना फौजदारियां नूं

शब्दार्थ
<references/>