भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
504 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:01, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
भाबी जुलफां गलां उते पेच खाधे अखीं तेरिआं सुरमे दियां धारियां ने
गलां उते भंबीरियां उडदियां ने नैनां सान कटारिया चाढ़ियां ने
तेरें नैनां ने शाह फकीर कीते सनें हाथियां फौज अंबारियां ने
वारस शाह जुलफां खोल नैंण खूनी फौजां कतल उते चा चाढ़ियां ने
शब्दार्थ
<references/>