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505 / हीर / वारिस शाह
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बारां बरस दी औड़ सी मिह बुठा लगा रंग फिर खुशक बगिचियां नूं
फौजदार तगयार बहाल होया बांझ तंबूयां अते गलिचियां नूं
बाहियां सुकियां सबज मुड़ फेर होइयां एस हुसन जमीन नूं सचियां नूं
वारस वांग किशती परेशान हां मैं पानी पहुंचया नूंह दे टिचियां नूं
शब्दार्थ
<references/>