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527 / हीर / वारिस शाह

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अजू आखया सैदया जाह भाई एह वौहटियां बहुत पयारियां ने
जाह बन्ह के हथ सलाम करना तुसां तारियां खलकतां सारियां ने
अगे नजर रखीं सारा हाल असीं अगे जोगिड़े दी करीं जारियां ने
सानूं बनी है हीर नूं सप्प लड़या खोल कहीं हकीकतां सारियां ने
आखीं रब्ब दे वासते चलो जोगी सानूं पइयां मुसीबतां भारियां ने
जोगी मार मंतर करो सब हाजर जाह लया मना तूं वारियां ने
वारस शाह उथे नहीं फुरे मंतर जिथे इशक ने दंदियां मारियां ने

शब्दार्थ
<references/>