भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

538 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:38, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सहती आखदी बाबला जाह आपे सैदा आप नूं वडा सदांवदा ए
नाल किबर<ref>घमंड</ref> हंकार दे मसत फिरदा नजर तले ना किसे नूं लयांवदा ए
सांहे वांगरां सिरी फिहांवदा ए अगों आकड़ां पया वखांवदा ए
जा के नाल फकीर दे करे आकड़ गुसे गजब नूं पया वधांवदा ए
मार नूंह दे दुख हैरान कीता अजू घोड़ी ते चढ़के धांवदा ए
यारो उमर सारी जटी ना लधी रहया सोहनी ढूंढ़ ढूंढ़ावदा ए
वारस शाह जवानी विच मसत रहया वकत गए ताईं पछोतांवदा ए

शब्दार्थ
<references/>