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539 / हीर / वारिस शाह

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अजू बन्ह खड़ा हथ पीर अगे तुसी लाडले परवरदगार<ref>रब्ब</ref> दे हो
तुसी फकर अलाह दे पीर पूरे विच रेख<ref>किस्मत की रेखा</ref> दे मेख<ref>दुर्भाग्य</ref> नूं मारदे हो
होवे दुआ कबूल पयारयां दी दीन दुनी<ref>लोग</ref> दे कम सवारदे हो
अठे पहर खुदा दी याद अंदर तुसी नफस<ref>लालच, वासना</ref> शैतान नूं मारदे हो
हुकम रब्ब दे थी तुसी नहीं बाहर पीर खास हजूर दरबार दे हो
मेरी नूंह नूं सप्प दा असर होया तुसी कील मंतर सप्प मारदे हो
रूढ़े जान बेड़े औगनहारयां दे फजल<ref>मेहरबानी</ref> करो ते पार उतारदे हो
तेरे चलयां नूंह मेरी जीउंदी ए डुबन लगयां नूं तुसी तारदे हो
वारस शाह दे उजर<ref>गुनाह</ref> मुआफ करने बखशनहार बंदे गुनाहगर दे हा

शब्दार्थ
<references/>