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543 / हीर / वारिस शाह

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भला होया भैणा हीर बची जानो मन मन्ने दा वैद हुन आया नी
दुख दरद गए सभे हीर वाले कामल वली ने फेरड़ा पाया नी
जेहड़ा छड चुधराइया चाक होया वत उसने जोग कमाया नी
जैंदा वंजली दे विच लख मंतर एह अल्लाह ने वैद मिलाया नी
शाखां रंग बिरंगियां होण पैदा सावन माह जिऊं मींह वसाया नी
नाले सहती दे हाल ते रब्ब तुठा जोगी दिलां दा मालक आया नी
तिनां धिरां दी होई मुराद पूरी धुआं एस चरोकना लाया नी
एहदी फुरी कलाम अज खेड़यां ते इसमे आजम<ref>भगवान का नाम</ref> ते असर कराया नी
महमान जियों आंवदा लैन वहुटी अगे सहुरयां पलंघ वछाया नी
वीराराध<ref>पाक</ref> वेखे एथे कोई हुंदा जग धूड़ भलांवड़ा पाया नी
मंतर हक ते पुतलियां दो उडन अल्लाह वालयां खेल रचाया नी
खिसकू शाह होरी अज आन बैठे तंबू आन उघालूयां लाया नी
दुआ मार बैठा जोगी मुदतां दा अज खेड़यां ने खैर पाया नी
कखों लख चा करे खुदा सचा दुख हीर दा रब्ब गवाया नी
उन्हां सिदकियां दी दुआ रब्ब सुनी उस वांढड़ी दा यार आया नी
भला होया जे किसे दी आस पुनी रब्ब बिछड़या यार मिलाया नी
सहती आपने हथ अखतिआर लैके डरा डूंमां दी कोठड़ी पाया नी
रन्नां झट मोह लैन शाहजादयां नूं वेखो इफतरा कौन बनाया नी
आपे धाड़वी दे अगे माल दिता पिछों उसदे ढोल बजाया नी
भलके ऐथे ना होवसन दोवे कुड़ियां सानूं सगन एहां नजर आया नी
वारस शाह शैतान बदनाम करसू लूण थाल दे विच भुनवाया नी

शब्दार्थ
<references/>