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551 / हीर / वारिस शाह

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सहति लई मुराद ते हीर रांझा रवां<ref>भाग गए</ref> हो चले लाड़े लाड़ियां नी
रातोरात गए लैके बाज कूंजां सिरिया नागां दियां शिहां<ref>शेर</ref> लताड़ियां नी
आपो धाप लैके वाहोदाही नसे जयों बघयाड़ां ने तडियां पाड़ियां नी
जड़ा दीन इमान दी कटते नूं एह महरियां तेज कुहाड़ियां नी
मियां जिन्हां वेगानड़ी नार रावी<ref>भोगना</ref> मिलन दोजखी<ref>बुरे काम करने वाले</ref> ताओ चवाड़ियां नी
वारस शाह नाइयां नाल जग बधां आप मुनवायके खेड़यां दाड़ियां नी

शब्दार्थ
<references/>