भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
551 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:42, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सहति लई मुराद ते हीर रांझा रवां<ref>भाग गए</ref> हो चले लाड़े लाड़ियां नी
रातोरात गए लैके बाज कूंजां सिरिया नागां दियां शिहां<ref>शेर</ref> लताड़ियां नी
आपो धाप लैके वाहोदाही नसे जयों बघयाड़ां ने तडियां पाड़ियां नी
जड़ा दीन इमान दी कटते नूं एह महरियां तेज कुहाड़ियां नी
मियां जिन्हां वेगानड़ी नार रावी<ref>भोगना</ref> मिलन दोजखी<ref>बुरे काम करने वाले</ref> ताओ चवाड़ियां नी
वारस शाह नाइयां नाल जग बधां आप मुनवायके खेड़यां दाड़ियां नी
शब्दार्थ
<references/>