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554 / हीर / वारिस शाह

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हीर आखया सुते सो सभ मुठे नींद मारया राजयां रानयां नूं
नींद वली ते गौंस ते कुतब मारे नींद मरया राह भदानयां नूं
एस नींद ने शाह फकीर कीते रो बैठे ने सकत विहानयां नूं
नींद शेर ते देव इमाम कुठे नींद मरया वडे सिआनयां नूं
सुते सोई वगुतड़े मैहर वांगूं गालब नीद है देव रजानयां नूं
नींद भठ झुकाया सुटयां सुलेमान ताईं देंदी नींद नी वकत विहानयां नूं
नींद पुतर यकूब दा खूह पाया सुनया होसियां यूसफ दे बानयां नूं
नींद जिबा कीता असमाईल तांई यूसफ पेट मछी विच पानयां नूं
नींद वेख जो ससी नूं वखत पाया फिरे ढूंढ़दी यार बाहनयां नूं
साढे तिंन हथ जिमी है मुल तेरा वारस शाह क्यों वले वलानया नूं

शब्दार्थ
<references/>