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556 / हीर / वारिस शाह
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कू कू कीता कूक कूक रांझने ने उचा कूकदा चांगर<ref>खुशी मनाना</ref> धरासदा ए
बू बू मारके ललकारां करे धुमां राजे पुछया शो विशवास दा ए
रांझे आखया राजया चिरी जीवें तेरा राज ते हुकम अरासता<ref>रब्बी</ref> ए
हुकम मुलक दिता तैनूं रब्ब सच्चे करम रब्ब दा फिकर गम कासदा ए
तेरी धाक पई रूम शाम अंदर बादशाह डरे आस पास दा ए
तेरे राज विच बिनां तकसीर मारे ना गुनाह ते ना कोई वासता ए
मखी फसदी ए जिवें शहद अंदर वारस शाह इसजग विच फासदा ए
शब्दार्थ
<references/>