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561 / हीर / वारिस शाह
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राजे आखया तुसां तकसीर<ref>गलती</ref> कीती एह वडा फकीर रजानयां जे
नक कन वढा दयां चाढ़ सूली ऐवें कोई एह गल ना जानया जे
रजे जट ना जाणदे किस ताईं तुसीं अपने कदर पछानया जे
रन्नां खोह फकीरां दे राह मारन तंबू किबर<ref>घमंड</ref> गुमान दा तानयां जे
राती चोर ते दिने उधालियां ते शैतान वांगूं जग रानया जे
काज़ी शाह दा तुसां नूं करे झूठा मौजां सूलियां दीयां तुसां मानयां जे
एह नित हंकार ना मान रहिंदा कदी मौत तहकीक पछानयां जे
वारस शाह सराए दी रात वांगूं दुनियां खाब खयाल है जानया जे
शब्दार्थ
<references/>