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575 / हीर / वारिस शाह

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रब्ब फज़ल<ref>कृपा</ref> कीता राजे अदल<ref>न्याय</ref> कीता दिता यार नूं यार मिलाय मियां
उहना मुढ कदीम दी दोसती सी जाो रब्ब रसूल खुदाय मियां
हीर खोहके रांझे दे हथ दिती कीती जोगी ने खैर दुआय मियां
रांझे हथ उठा दुआ कीती अला पाक दी सिफत<ref>गुण</ref> सुनाय मियां
तेरे हुकम ते मुलक विच खैर होवे तेरी दूर होवे कुल बलाय मियां
अन्न धन्न ते लछमी मलक दौलत नित होवसी दून सवाय मियां
घोड़े ऊंठ हाथी दम तोपखान हिंद सिंध ते हुकम चलाय मियां
वारस शाह रब्ब आवरो नाल रखे मिटी मुठ ही दये लंघाय मियां

शब्दार्थ
<references/>