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579 / हीर / वारिस शाह

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भाइयां जायके हीर नूं घरी आंदा नाल रांझना घरी मंगाइयो ने
लाह मुंदरां जटां मुंना सुटियां सिर सोहनी पग बहाइयो ने
याकूब दे पयारढ़े पुत वांगू कढ खूह थी तखत बहाइयो ने
नाल दे लागी खुशी हो सभनां तरफ घरां दी चा पहुंचाइयो ने
भाईचारे नूं मेल बहाइयो ने सभे हाल अहवाल सुनाइयो ने
वेखो दगे दी पैवंद<ref>जोड़</ref> लायो ने घी मारन दा मता पकाइयो ने
वारस शाह एह कुदरतां रब्ब दियां वेखो नवां पखेड़ रचाइयो ने

शब्दार्थ
<references/>