भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

585 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:51, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अफसोस मैंनूं आपणी नाकसीं<ref>बेबसी</ref> दा गुनाहगार नूं हशर दे सूर दा ए
एना मोमनां खौफ ईमान दा ए अते हादियां बैंत मंसूर दाए
सूबेदार नूं तलब सपाह<ref>फौज</ref> दा ए अते चाकरां काट कसूर दा ए
सानूं शरम ईमान वा खौफ रहिंदा जिव मूसा नूं खौफ कोहतूर<ref>तूर पर्वत</ref> दा ए
इन्हां गाजियां<ref>धर्मयोद्धा</ref> करम बहिश्त होवे ते शहीदां नूं वायदा हूर दा ए
एवे बाहरों शान खराब विचों जिवे ढोल सुहांवदा दूर दा ए
वारस शाह वसनीक जंडयालड़े दा ते शगिरद मखदूम कसूर दा ए

शब्दार्थ
<references/>