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585 / हीर / वारिस शाह
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अफसोस मैंनूं आपणी नाकसीं<ref>बेबसी</ref> दा गुनाहगार नूं हशर दे सूर दा ए
एना मोमनां खौफ ईमान दा ए अते हादियां बैंत मंसूर दाए
सूबेदार नूं तलब सपाह<ref>फौज</ref> दा ए अते चाकरां काट कसूर दा ए
सानूं शरम ईमान वा खौफ रहिंदा जिव मूसा नूं खौफ कोहतूर<ref>तूर पर्वत</ref> दा ए
इन्हां गाजियां<ref>धर्मयोद्धा</ref> करम बहिश्त होवे ते शहीदां नूं वायदा हूर दा ए
एवे बाहरों शान खराब विचों जिवे ढोल सुहांवदा दूर दा ए
वारस शाह वसनीक जंडयालड़े दा ते शगिरद मखदूम कसूर दा ए
शब्दार्थ
<references/>