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587 / हीर / वारिस शाह
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बखशीं लिखने वालयां जुमलयां नूं पढ़न वालयां करी अता साईं
सुनन वालयां नूं बहुत खुशी होई रखन जौक ते शौक दा चा साईं
रखी शरम हया तूं जुमलयां दा मीटी मुड़ दी दई लघां साईं
वारस शाह तमामियां मोमनां नूं दईं दीन ईमान लुका साईं
शब्दार्थ
<references/>