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अभियऽ तेॅ चेतऽ / खुशीलाल मंजर

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अभियो तेॅ घुमनी तोड़ऽ नी
की सुतै छऽ सगरो दिन
सुततेॅ सुततेॅ कमरो झुकलौं
छेलौं जबानी बुढ़ापा ऐलौं
देखऽ नी उगलै बड़का दिन
अभियो तेॅ घुमनी तोड़ऽ नी

कामऽ धंधा में चित नै लगाय छऽ
की भागऽ पर भरोसा करै छऽ
पढ़ी लिखी केॅ बनै छऽ भढु़आ
खाय लेॅ खोजै छऽ हरदम झड़आ
लाजो नै लागै छौं हांकै छऽ डींग
अभियो तेॅ घुमनी तोड़ऽ नी

घरऽ में घरमुस्सऽ बनला से नै होतौं
देस दुनिा केॅ समझै लेॅ लागतौं
आबेॅ नै चेतभा तेॅ चेतभा कहिया
फेरू करभा भूल तेॅ पछतेॅभा भैया
घरनी के घुंघटा छोड़ऽ नी
अभियो तेॅ घुमनी तोड़ऽ नी

फेरु नै जल्दी ऐतौं एहनऽ मौका
है रं जिनगी सें तेॅ मरलै पक्का
करबा जे करऽ लगाबऽ नै देर
छटी जैतों गाड़ी तेॅ होय जैतौं बेर
खतम होलै रात होलै दिन
अभियो तेॅ घुमनी तोड़ऽ नी