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सूनऽ सूनऽ घऽर लागै छै / खुशीलाल मंजर

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सूनऽ सूनऽ घऽर लागै छै
है रं जी तरसाबऽ नै
रोज आंखी से लोर चुआबौं
तैहयो कोय पतियाबै नै
सूनऽ सूनऽ घऽर लागै छै

टुप-टुप लागै रात अन्हरिया
दरदऽ सें भरलऽ दिन दूपहरिया
ऐन्हऽ की गलती हमरऽ छै
है रं हंसी उड़ाबऽ नैं
सूनऽ सूनऽ घऽर लागै छै

कुहर मचाय छै मांग जे हमरऽ
चुटकी भर सिन्दुर छै जेकरऽ
परती धरती के अंचरा छै
मेघ बनी बिसराबऽ नै
सूनऽ सूनऽ घऽर लागै छै

नुनु दीदी के अइलै पहुंना
लागे चांद उतरलै ऐंगना
है जिनगी बेरथ हमरऽ छै
डेंगी नाव बनाबऽ नै
सूनऽ सूनऽ घऽर लागै छै