वक्त बहुत कम है / कुमार कृष्ण
वक्त बहुत कम है-
कविता की जेबों में जल्दी से भर लो
फटे-पुराने रिश्ते
नरगिस के फूलों की खुशबू
चूड़ियों की खनखनाहट
बैलों की घण्टियाँ
चाँद-तारों की कहानियाँ
हो सके तो छुपा लो कहीं भी
दादी का, नानी का बटुआ
थोड़ा-सा पानी
थोड़ा -सी आग
थोड़ा-सा छल
थोड़ा-सा राग
कविता के आँचल में बाँध लो चुराकर
थोड़ी-सी नफरत
थोड़ा-सा प्यार
लोहे की टोपी
हँसुए की धार
आधीअधूरी -सी छोटी-सी खुशियों का-
रख लें छुपाकर कोई अखबार।
किसी को मारने के लिए
किसी को मारने के लिए
कोई ज़रूरत नहीं तेज धार वाले हथियार की
किसी को मारने की सबसे आसान तरकीब है-
खत्म कर दो उसकी यादों को
एक-एक करके कम कर दो उसके सभी दोस्त
उन तमाम दरवाजों पर ठुकवा दो ताले
जहाँ चाय के लिए थकता नहीं
इन्तजार का दरख्त
तेज धारवाले हथियार का
इस्तेमाल करना है तो
कत्ल कर दो-
उसके सभी विश्वास, इरादे और सपनें
उसके उम्मीद-भरे कुर्ते में कर दो-
छोटे- छोटे सुराख
छीन लो उसकी हँसी की दातुन
बंजर कर दो रिश्तों के तमाम खेत
चश्मा लगाकर इण्टरनेट पर देखते रहो-
क्या था उस शख्स के मरने का सही समय।