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हस्ताक्षर / कुमार कृष्ण

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अधिकतर हस्ताक्षरों की नहीं होती कोई भाषा
नहीं होता कोई मतलब
फिर भी जानते हैं वे बात करना
वे करते हैं बड़े-बड़े फैसले
बड़ी-बड़ी सन्धियाँ, दुरभिसन्धियाँ
अरबों-खरबों का व्यापार

हस्ताक्षर होते हैं भाग्यविधाता
बदल सकते हैं किसी की भी किस्मत
जो नहीं जानते पढ़ना-लिखना
उनके भी होते हैं हस्ताक्षर
बैलमुती लिपि हैं वे
आ जाए जिस किसी काग़ज़ पर
बन जाता है वह-
दुनिया का सबसे ताकतवर दस्तावेज़

हस्ताक्षर निरर्थक लगते हुए भी होते हैं सार्थक
प्राणहीन लगते हुए भी होते हैं-
सबसे अधिक प्राणवान

हस्ताक्षर करते हैं वकालत
वे जानते हैं देश और दुनिया को खरीदना

किसने कब किया होगा कहाँ हस्ताक्षर को ईजाद
मैं नहीं जानता
पर इतना जनता हूँ-
जब पहली बार बिका होगा
एक मनुष्य दूसरे के पास
तब किये होंगे बिकने वाले ने अपने हस्ताक्षर
पूरा घरबार हैं हस्ताक्षर
भय मुक्त द्वार हैं हस्ताक्षर
हस्ताक्षर आधार हैं, सरकार हैं।
हस्ताक्षर व्यापार हैं, अधिकार हैं।