भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लेन-देन / शैल चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:56, 1 जून 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैल चतुर्वेदी |संग्रह=चल गई / शैल चतुर्वेदी }} एक महानुभ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक महानुभाव हमारे घर आए
उनका हाल पूछा
तो आँसू भर लाए
बोले-
"रिश्वत लेते पकड़े गए हैं
बहुत मनाया नहीं माने
भ्रष्टाचार समिति वाले
अकड़ गए हैं
सच कहता हूँ
मैनें नहीं मांगी थी
देने वाला ख़ुद दे रहा था
और पकड़ने वाले समझे
मैं ले रहा था
अब आप ही बताइए
घर आई लक्ष्मी को
कौन ठुकराता है
क्या लेन-देन भी

रिश्वत कहलाता है

मैनें भी एक काम किया था
एक सरकारी ठेका उसके नाम किया था
उसका और हमारा लेन-देन बरसों से है
और ये भ्रष्टाचार समिति तो
परसों से है| "