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कान्ह कोदरिया लेल / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
दुलहे का अपनी दुलहन के प्रति आकर्षण सदैव बना रहे, इसलिए जोग की जड़ी खोदने और दुलहे को बाँधने का उल्लेख इस गीत में हुआ है।
कान्ह<ref>कंधे पर</ref> कोदरिया लेल<ref>लेकर</ref>, ददिया<ref>पत्नी की दादी; सास की सास</ref> सासु बहरैली<ref>बाहर हुई; बाहर निकली</ref>।
जोगिनिया सासु बहरैली, बैरनिया सासु बहरैली।
पैसली माली फुलबरिया, उखारलनि<ref>उखाड़ा</ref> जोग के जरिया<ref>जड़ी</ref>॥1॥
सेहो जरिया लये कवन छैला, हम बाँधबऽ।
कवन मतबलबा हम बाँधबऽ, छिनारी के पूता हम बाँधबऽ॥2॥
शब्दार्थ
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