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कोठे ऊपर बाबू मौरिया सँभारै गे माय / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कोठे ऊपर बाबू मौरिया सँभारै गे माय।
एइ ठैंया<ref>इस जगह</ref> मत आबै कोई, नजरि लगाबे गे माय॥1॥
मलिया तोर बाबू, दुरगा मनाबै गे माय।
एइ ठैंयाँ मत आबै कोई, नजरि लगाबे गे माय॥2॥
कोठे ऊपर बाबू जोड़वा सँभारै गे माय।
एइ ठैंयाँ मत आबै कोई, नजरि लगाबे गे माय॥3॥
दरजी तोर बाबू दुरगा मनाबै गे माय।
एइ ठैंयाँ मत आबै कोई, नजरि लगाबे गे माय॥4॥
कोठा ऊपर बाबू जुतबा सँभारै गे माय।
एइ ठैंयाँ मत आबै कोई, नजरि लगाबे गे माय॥5॥
चमरा तोर बाबू दुरगा मनाबै गे माय।
एइ ठैंयाँ मत आबै कोई, नजरि लगाबे गे माय॥6॥
बहिनी तोर बाबू अँखिया रँजाबे गे माय
एइ ठैंयाँ मत आबै कोई, नजरि लगाबे गे माय॥7॥

शब्दार्थ
<references/>