भलिया के दुअरे चनन गाछ हे / अंगिका लोकगीत
पति दूसरा विवाह करने चला। उसकी पत्नी ने उसे रोका और कहा- ‘आप तो विवाह करने जा रहे हैं, परन्तु मुझे किसे सौंप रहे हैं?’ पति ने उत्तर दिया- ‘मैं तुम्हें अपनी माँ और बहन को सौंप जाऊँगा तथा तुम्हारे लिए बहुत-सा धन दे जाऊँगा।’ वह चला गया। उसकी पत्नी ने मनौती मानी कि विवाह करने के लिए जाते समय जोरों से आँधी और पानी आ जाय। आँधी-पानी आया। पानी में भींगता हुआ पति लौट आया और पत्नी से किवाड़ खोलने का अनुरोध करने लगा।
उसने दासी से एक मुट्ठी खढ़/घास दे देने को कहा। अपनी पत्नी के इस व्यवहार से क्षुब्ध होकर वह कहता है- ‘तुम मेरे साथ ऐसा दुर्व्यवहार कर रही हो? तुम्हारे पिता ने तुझे मेरे हाथ सौंपा है और वे सौंपते समय मेरे सामने गिड़गिड़ा रहे थे।’
भलिया के दुअरे चनन गाछ हे।
तहि तर ठाढ़ भेल सीरी रामचंदर, घोड़बा अपाढ़<ref>तेजी के कारण अस्थिर रहना; जल्दी चलने के लिए छटपट करना</ref> कैने<ref>किये हुए</ref> हे॥1॥
घोड़ा के लगाम धैने<ref>पकड़े हुए</ref>, दुलरैते सुहबे<ref>सुहागिन; सौभाग्यवती</ref> हे।
तहुँ परभु चलल बिआह करे, हमरा के कहाँ सौंपने हे॥2॥
माइ सौंपि जैबो, बहिनि सौंपी हे।
सातो सेॅ<ref>सौ</ref> अभरन<ref>आमरण</ref> दइ जैबो, एके छतर बिनु हे॥3॥
देबौ रे कागा तोंहे खसिया ओ पठिया, जों परभु जैता बिआह करे हे।
आन्ही<ref>आँधी</ref> पानी<ref>वर्षा</ref> सूप, नेवोति रखिहें हे॥4॥
आन्ही अछकाल<ref>खूब जोरों से</ref> कैने, पानी छछकाल<ref>जोरों से पानी आने के कारण चारों तरफ जलमय हो जाना</ref> कैने हे।
हे खोलु धानि सोबरन<ref>स्वर्णिम; सोने का</ref> केबरिया, सोहामन मौरिया भींगी जैतो हे॥5॥
ऐंगना बोहारैत तोंहे, सलखो चेरिया हे।
एक मूठी खरही<ref>खढ़</ref> ओछाइ<ref>बिछा लो</ref> लेहु, ओहि ठौयाँ सोइ<ref>सो रहो</ref> रहु हे॥6॥
उकटी<ref>उकटने वाली; वह स्त्री जो निम्न विचार की हो; अपने द्वारा किये हुए उपकार जो जो बार-बार कहती फिरती हो</ref> कै जनमल, कनिया सुहबे हे।
तोरे बाप मोरे हाथ सौंपलन, ठन ठन<ref>ठुनकना; अधिक बोलना; गिड़गिड़ाना</ref> कतैक<ref>कितना</ref> कैलन हे॥7॥