Last modified on 2 मई 2017, at 16:53

कल्पनाओं में स्त्री / अनुभूति गुप्ता

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:53, 2 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुभूति गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

देहरी की सीमाएँ भूलकर
सब मर्यादाएँ तोड़कर
नील गगन में
आजाद पंछी-सा
उड़ने का मैंने सोचा है।

नदी की शीतल मधुर सौम्य
धारा पर नंगे पाँव
चलने का मैंने सोचा है।

मासूम-सी कल्पनाओं में
अपनी उजली सूरत पर
कमल खिलते हुए देखा है।

धवल चाँदनी-सा खुद को
इन स्याह रातों को
उज्ज्वल करते हुए देखा है।