Last modified on 2 मई 2017, at 18:18

दरिद्रता और मैं / अनुभूति गुप्ता

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:18, 2 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुभूति गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

न सिर पर छत है
न कोई सगा-सम्बन्धी है
न ठोकर लगने पर
सम्भालने को कोई है,

न घर चलाने को धन है
मन व्यथित निर्बल निर्धन है...


इस अरबों की
आबादी वाले हिन्दुस्तान में
मेरे पास सहेजने लायक है
तो बस

खाली पेट
जनम लेने वाला नसीब
भूखमरी की चपेट से
निढाल जीवन
और...

दूर-दूर तक,
दरिद्रता के पद्चापों की
ध्वनियों पर
चलता हुआ
एक लाचार आदमी
यानि ’मैं’।