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बादलऽ सें-गरजै छै / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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ग़रजै छौ, ठनकै छौ!
बरसै छै नहियें।
की करिहौं बोलऽ नीं!
उतरै छौ नहियें।

आकाशै में दौड़ा दौड़ी
बदरिया संग खेल।
गरजै में बहादुर,
बरसै में फेल।

उतरऽ जरा नीचें तों,
पूछै छीहौं हाल।
करै छौ कैहिनें तों?
धरती पैमाल?

की खैतै बच्ची-बच्चाँ?
की खैतै घरनी?
सूखै छै घास पात,
चारो तरफ मरनी।