कमाल होय गेलै / कस्तूरी झा 'कोकिल'
रोजे-रोज घोटाला कमाल होय गेलै।
नेता अपना देश केॅ दलाल होय गेलै।
आजादी केॅ मिलला सें
होलै सत्तर साल।
कथी लेॅ सुधरतै हो
गरीबऽ रऽ हाल?
दिनों दिन आरो कंगाल होय गेलै।
रोजे-रोज घोटाला कमाल होय गेलै।
नेता अपना देश केॅ दलाल होय गेलै।
फाँसी लगाय केॅ
मरै छै किसान।
की खैतै धीया पूताँ?
हहरै छै प्राण।
धरती केॅ विष्णु पैमाल होय गेलै।
रोजे-रोज घोटाला कमाल होय गेलै।
नेता अपना देश केॅ दलाल होय गेलै।
मुखिया सें मंत्री ताँय
बहरोॅ छै कान।
पृथ्वी पर पैरे नैं,
उड़ै आसमान।
सज्जन केॅ गरदन हलाल होय गेलै।
रोजे-रोज घोटाला कमाल होय गेलै।
नेता अपना देश केॅ दलाल होय गेलै।
कहीं बाढ़, कहीं सुखाड़
साले-साल काल।
सरकारो कुंभकरनी
अफसर बैताल।
भकोरना, पलटनमा मालामाल होय गेलै।
नेता अपना देश केॅ दलाल होय गेलै।
रोजे-रोज घोटाला कमाल होय गेलै।