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कैसा लगता है तुम्हें / रंजना जायसवाल

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किसी देवस्थल में
देवता के
चरणों को छूकर
अन्न ...धन ...पद
कीर्ति या अपना कोई और
इच्छित माँगकर
जब निकलते हो बाहर
तो एकाएक तुम्हारे
पैरों की अँगुलियों पर
खुरदुरे ...गंदे
नन्हें बच्चे का
कोमल चेहरा
टकराता है
पैसे या रोटी के लिए
फरियाद करते
तो कैसा लगता है तुम्हें।