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तितलियाँ / गिरिजा अरोड़ा

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जब उड़ेंगी, रंग भरेंगी तितलियाँ
हवाओं में आकर्षण रहेंगी तितलियाँ

ढूँढते हो कहाँ यहाँ वहाँ
संग फूलों के मिलेंगीतितलियाँ

लगने दो धूप पंखों को जरा
उड़ तभी तो सकेंगी तितलियाँ

मिले बाग उपवन तो बन जाए बात
कैसे कंकरीट में जिऐंगी तितलियाँ

रसोई फूल की जाएगी फ़िज़ूल
पराग अगर नहीं चखेंगी तितलियाँ

हवा के संग ही बहते हैं सभी फूल पत्तियाँ
फ़िज़ा से कब तक बचेंगीतितलियाँ

तेज़ाबी हवा में फूल भी उगलेंगे ज़हर
कौन जाने फिर कहाँ रहेंगी तितलियाँ