आशा / गिरिजा अरोड़ा
कल एक बेहतर दिन होगा।
मनचाहा जब हासिल होगा।
कल एक बेहतर दिन होगा।
जो आज अधूरा छूट गया, जग जिससे मानो रूठ गया
उद्यम की राह चलते चलते
कल वह भी पूरा होगा, और कष्ट के बिन होगा।
कल एक बेहतर दिन होगा।
आज सभी दरवाजे बंद हों, रोशनी की उम्मीद कम हो
आशा का दीप जलते जलते
कोई झरोखा कल खुलेगा, पथ आलोकित फिर होगा।
कल एक बेहतर दिन होगा।
रात अंधेरी ही होगी न, आँख मूंद कर कट जाएगी
नैंनों में सपने बुनते बुनते
कोई किरण सुबह आएगी, सवेरा तो स्वर्णिम होगा।
कल एक बेहतर दिन होगा।
कुदरत सबको देती हैरानी
पत्थर कट उग आते वृक्ष, मरूभूमि में मिल जाता पानी।
अधर में पंख भरते भरते
रूक न जाना ओ पंछी, मिलता तुझको साहिल होगा।
कल एक बेहतर दिन होगा।
कल एक बेहतर दिन होगा।
मनचाहा जब हासिल होगा।
कल एक बेहतर दिन होगा।