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प्रेम से ज्यादा / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
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तुम अकेले नहीं आए थे
लेकर आए थे
एक पूरी दुनिया
अपने साथ
मुग्ध हुई थी मैं देखकर तुम्हारी
दुनिया का विस्तार
छूट जाने बिसर जाने दिया अपनी दुनिया को
तुम्हारी दुनिया में
अब मैं अकेली थी
विकल
विलीन होने को आतुर
तुम्हारी दुनिया में
पर जिसे
समझ बैठी थी एक पूरी दुनिया
वहाँ तुम तो थे अकेले नितांत
मेरे लिए भी
जगह कहाँ थी तुम्हारी अकेली दुनिया में
क्षणों में सिमटे तुम
तुम्हारे बचे होने के विध्वंसों के बीच
बची मैं
सोचती हुई
उदास अकेली
क्या प्रेम से ज्यादा जरूरी है
सुरक्षा?