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इंद्रधनुष के अर्थ / दिनेश जुगरान

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रुक जाना
शायद आसान था
जैसे नदी के तट पर
रुकी हुई नाव

दूसरी बार
नई तरह से
प्रारंभ कर सकता था
इस यात्रा को मैं भी
रहता उसी गली में
औरों के लिए
सुरक्षित छोड़ आया था जिसे

अपनी संभावनाओं की परिधि में
बौना बना रह सकता था
अपनी परछाइयों से भी छोटा

शायद आसान था

दूरियाँ तय नहीं करता
रुका हुआ जल
तो समुद्र कैसे बनता
धरती के कानों को
कैसे छूतीं उसकी लहरें
रुकना आसान था उसे

मैं लौटा नहीं
कभी भी
उस गली-गलियारे या आँगन में
जुड़ चुका था मेरे साथ
विस्तार का नया दरवाज़ा
युद्ध के नए हौसले
इन्द्रधनुष के नए अर्थ

धरती के एक ही टुकड़े को
देखने में अभ्यस्त आँखें
देख नहीं पातीं
जीवन के आर-पार
वह गली
वर्तमान से
महज़ एक दूरी है
जिसे नापा जा सकता है

मेरे सपनों में नहीं है कोई फूल
आश्वस्त हूँ मैं
एक आग तो बसती है
मेरे सपनों में
जो रोशनी बन जाती है