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मेरी माँ तुम / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
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उठाती हूँ
ढेर-सारी जिम्मेदारियाँ
घर और बाहर की
थक जाती हूँ
मैं एक माँ
लिपट लेती हूँ तुमसे
छूती हैं जब मेरे
गालों और बालों को तुम्हारी
नन्हीं अंगुलियाँ
सहलाने लगती हैं
फुर्र हो जाती है थकान
तुम्हारी नन्हीं उमगती उँगलियों का
पाकर स्पर्श
बन जाती हूँ
मैं एक नन्हीं बच्ची तुम सी
और तुम मेरी माँ सी।