भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्या तब भी / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:47, 12 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
स्त्री लिखते समय ही होती है
रचनाकार
या तब भी
जब बना रही होती है कोई व्यंजन
रसोईघर में
निखार रही होती है
दाल-चाय-सब्जी के
पीले-कत्थई-हरे रंगों को
रच रही होती है
अपने भीतर एक नया इन्सान
क्या तब भी स्त्री नहीं
होती है रचनाकार?