भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टुकुर टुकुर ताके / आशा राजकुमार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:51, 24 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आशा राजकुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

टुकुर टुकुर ताके
इधर से उधर
काहे फिर ना
कोई आ जाई
हम्मे ले जाई
काहे कोई और
जनावर ना आ जाई
हम्मे खा जाई।

हवा से पकड़ के
बन्द कर लेइस
एक खुलल कमरा में
सामने है दाना पानी
आँखी टपके है
फिन गाना गावे
के चाही
रोने के सिवाइ
और का बाकी रह गइल
और गँवा
रहल है
जबरजस्त
जान है हमार
और सौदा हमार
रंग और ढंग
के होवे हैं?
के बोलता रहा
आजाद जैसे पंछी