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परदेश / कारमेन जगलाल
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देश छोड़कर जाते हैं हम
स्वर्ग की खेज में कितने दूर जाते हैं हम
पल भर में बन जाते हैं हम बिदेशिया
पराए लोए, पराए दोस्त, पराए देश
दिल छूटा दिलबर छूटा, देश छूट गया।
बदनसीबी देखिए हमारा आशियाना छूट गया।
खुशी ढँूढने आए हम, सात समंदर पार
कुछ न मिला, हमारा देश छोड़ना हुआ बेकार
यह देश नहीं है अपना
यहाँ हर कोई है बेगाना
अब बस समय का है इन्तजार
कब हम जाएँ अपने देश फिर एक बार।