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अदृश्य चोरों से सावधान / चन्द्रमोहन रंजीत सिंह
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तेरे घर में घुस गए चोर प्यारे अँखिया खोला ना।
कैसा सुन्दर महल बना है शोभा अपरम्पार।
सूरज चाँद सितारे इसमें हैं इसमें नौ द्वार।
पृथ्वी जल आकाश पवन और अग्नि तत्व है सार।
इन पाँचों से महल बना है ज्ञानी करो विचार।
काम, क्रोध मद लोभ मोह और मत्सर हैं छह चोर।
निर्भय होकर घुसे हैं घर में तुझे समझ कमजोर।
सत्य अहिंसा दया क्षमा है विद्या है दम धन तोर।
लूट रहे अनमोल रतन को तू नहीं करता शोर।
योग ज्ञान विज्ञान शस्त्र को लीजे वेग उठाए।
इन अदृश्य चोरों को जल्दी घर से देहु भगाय।
तभी शान्ती पावोगे प्यारे जनम सफल हो जाए
पड़े न अन्त समय पछताना कीजै यही उपाय।