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तोर साथे खेत भी रोवत होय / चित्रा गयादीन
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अपन खेत प्यार के चादर में
ओढ़ाइके तू सूतत बाटे
दूसर देश के गहरा सपना
हाथ से बोवल पेड़वन
आवाज से जगावल गाय गोरू
माटी से लीपल घर द्वार
सब खियात जात है
पड़ोसिन के धुँआ
तोर अँगना लाँघके आई
करहर रोटी, अब के माँगी खाई
समय के करहियाउ पर
हम लोग उ लोग के बोली
हवा जोर-जोर गोहराई
कमाड़ी खुली बन्द होई
अँगना में मिटत जाई
कई दिन के चिनहा।