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वैदिक धर्म-इन्सानियत की सेवा / बिहारीलाल कल्लू

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अब तो समझ गए हम, वेदों का धर्म क्या है,
उद्घोष हम करेंगे वेदों का मर्म क्या है।
सर्जन जगत का जिस दिन भगवान ने किया था
वेदों का ज्ञान उसने ऋषियांे को तब दिया था।
चलने की राह यह है, भगवान ने कहा था,
था कष्ट मार्ग में जो ऋषियों ने सब कहा था।
इस राह पर चला जो, धोखा कभी न खाया,
शान्ति का पथ सुन्दर, वेदों ने है बताया।
वेदों की राह तजकर बेराह हो रहे जो,
करके अशान्त दुनिया, बरबाद हो रहे वे।
वेदों का धर्म जो है, अपना उसे बना लो,
बनके मनुज जगत में जीवन सफल बना लो।
इन्सानियत की सेवा करके तुम्हीं दिखाना,
इक दिन यहाँ से कल्लू आखिर पडे़गा जाना।