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ई जिनगी / राज मोहन
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हम ना माँगीला जलदी जलदी
जिए जिनगी
ह ना माँगीला लगे जलदी
देंही में हलदी
हमे छुरन दे मद्धिम आँच पे
पक्कनदे अस्तिले डार पे
तोर खातिर
हाँ तोर खातिर
जेबी में हाथ डार के
अब्बे तंको ना मूढ़ माड़ के
ठहरीला घूमीला नचिला
मौज के उधार पे
हम्मे बैठन दे सपना के द्वार पे
जीतन दे सब कुछ हार के
तोर खातिर
हाँ तोर खातिर
दूसर के ना बाकी
हमें हमार परछाईं के बगले लेटा दे
टिम से इगो खुलल खिड़की की हवा में लेटन दे
खूब खेलन दे
बरखा के मद्झिम बौछार के हाम से
ताल के बाहर चाहे सुर से दूर
हमे बजन दे जिनगी के तार पे
झूलन दे गीत के धार पे
तोर खातिर
हाँ तोर खातिर।