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हमार भासा / राज मोहन

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होइगइले सौतेला तू
अपने पलवार में
जमीन में कैसे
दफनावे धीरे धीरे
मुँह पे लगाए के तोर
करखा रे बासा

पठा दीस तोर जात तोके
घर में से बहिरे
और बोल दी बा
कभी जब टेम मिलि
ते सुनी जरूर तोर बात
तोर ओराहना

बैठक के रंग में खेल ले तू होली
बेजती भी होइगे तोर दारू के नसा में
दिवाली के पूजा में कब तोके पूछी
माँज पे आखिर कब मिलेगा नौता

काहे बिमार पडत्रल बाटे रे भासा
काहे तू रोवे है आन्त्रे में हेए के
लंठाइ लँठाई में ताना सुनाए के
पास होवे अब्बे ले सब तोके नाँग के

बोलाले जात के अपन तू अखाड़ा में
हिम्मत ना हार हम बाटी तेर साथे
खोल दे अपन तू जिनगी के पुस्तक अब
धोएले लगावल मुँह पे से करखा
लगाले करेजा से गीत और कविता
सुनाव अपन मुँह से दुलार के गाना
तब एसन दिन के सरनामी तोर जाति
बैठाए लीगा सब तोके
मूढ़ी पे चढ़ाए के।