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टँगल ठंडा चाँद / राज रामदास

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टँगल
ठंडा
चाँद
मैला चाँदी के मोहर
अन्धा अँधियार के माथे पे
दूर में नगाड़ा
तनन नस से
अपन बेनाम बरातिया के
स्वागत करे है
आज बिहान के घाट पे
हम टूटल मन के
समझाइला।