नमन अनल केॅ / प्रदीप प्रभात
09 अक्टुबर सन् 1942 केॅ
कुल्हड़िया गाँव में
खिललोॅ छेलै एक फूल
नाम रहै राम शर्मा ‘अनल’।
अंगिका, हिन्दी के कवि
गीतकार आरो उपन्यासकार
कंठ रहै गजब
कर्मकार बढ़ई, गाबै गीत चिरई।
गीतॉे के राज कुमार
अंगजनपद रहै गुलजार
अंगिका लेली जियै मरै छेलै
टूटी गेलै वीणा के तार
‘पियावासा’ अंगिका उपन्यास
‘एकलव्य’ प्रबंध काव्य
गीतों में रहै धुरन्धर
‘गीत गंगा-के संपादक अमरेन्दर।
बंद होय गेलै सितार
होय गेलै बंद एक्केॅ साथ
आरी के खर-खर, बसुल्ला के ठक-ठक
आबेॅ के गीत सुनैयों मीत विमल अमरेन्दर।
साथ छोड़ी चल्लोॅ गेल्ही अनल
पार सात समुन्दर।
साथें मिली गुनगुनावै छेलोॅ
खलीफाबाग, भागलपुर लकड़ी मिल पास
कहाँ हेराय गेल्हौं, खोजै छोॅ की इंजोरिया में
‘धु्रवतारा’ तेॅ नजर आवै छै अन्हरिया में।
कहाँ तोॅ पैभेॅ सप्तर्षि आरो, धु्रवतारा
ई ‘पूनो’ के ठहाका इंजोरिया मेॅ।