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मा रो परस / अजय कुमार सोनी
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म्हारै गांव सूं
पांच सौ कोस आंतरै
किणी म्हानै
धोरां माथै
ले जाय र
ताती रेत में
लिटाय'र
कै दियो होवै
कै देख
कित्ती ठंडी है
आ जाग्यां।
साच्याणी
म्हानै बा रेत
भोत ठंडी लागै
अर लिट्यो रेवूं
उण माथै सगळै दिन
जाणै माचै माथै
बिछाय दी होवै
किणी नूंई चादर
पून लागै
मा रो परस।