Last modified on 9 जून 2017, at 18:27

प्रीत : दो / विरेन्द्र कुमार ढुंढाडा़

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:27, 9 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विरेन्द्र कुमार ढुंढाडा़ |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रीत रा फळ
भोत मीठा
आव चाखां।
उंतावळ नीं
पैली लागण दे
पांगरण दे
फेर पाकण दे

पाक्यां
पकायत ई
होसी मीठा
अभी ना धार
ठाह तो
चाख्यां ई लागसी।
देखी
काच्ची
ना तोड़ लेई
मन रै मतै
प्रीत !