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केकरा सें कहियैं जी! / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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केकरा सें कहियैं जी! मनोॅ रेॅ बात?
छगुनतें छगुनतें बीतै छेरात।
रात रानी गमकै छै
इंजोरिया में छमकै छै।
पूरवाँ झुलाबै छै
मधुर गीत गाबै छै।
फागुन वियोगी लेॅ भरलोॅ बरसात।
केकरा सें कहियैं जी! मनोॅ रेॅ बात?

महुवा मधु टपकै छै
आम मंजर मचलै छेॅ।?
केइलिया कूकै छेॅ।
विरहानल हूकै छेॅ
बेवश विधुरऽ पर भारी आघात
केकरा सें कहियै जी! मनोंरे बात?
ढोलक झाल बाजै छै।
सुतलऽ जबाबै छै।
दिल केॅ दुखाबै छै।
करेजऽ हहराबै छै।
कैहिया होतै तोरा सें बोलऽ मुलाकात?
केकरा सें कहियैं जी! मनोॅ रेॅ बात?

अंगिका लोक जुलाई-सितंबर 2015
(23 फरवरी, 2015 रात्रि 10.20)