घरनी रॅ करनी / कस्तूरी झा 'कोकिल'
धरती पर जब ताँय तोॅ छेलौह
हमरोॅ सदा बहार छेलै
घोॅर कम्मा तोरा ऊपरॅ पर।
हमरा बाहर भार छेलै।
गाड़ी सरपट दौड़े छेलै।
कभी न कहीं उलार होलै।
तनीं मनीं रॅ बातै की छै?
आरो गहरा प्यार होलै।
गृह लक्ष्मी केॅ दरजा देलिहाैं
चाभी सौंपी देलिहौं जी।
खूब निभैलौह करतब आपनों
खुशी सें गदगद भेलिहौं जी।
ससुरारी नैहरा में सबदिन
खुभ्भें आदर पैलोह जी।
हमरोॅ माथ उच्चे राख लैह
कुल रेॅ नाम बढैलैहजी।
आँगन में किलकारी देलौह
वेशी भगन दादी, नानी।
लीलाधर बाबा रॅ महिमा
सुन्दर सात निशानी।
पढ़ाय लिखाय केॅ तालिम करलौह
समय-समय पर शादी जी।
सब छै आपनों काम धाम पर
नैं छै बाबा? दादी जी।
महल अटारी तोंही बनैलौह
सब रॅ आँख जुड़ैलोह जी।
पोता-पोती, नाती नातिन सें
दादी नानी कहले लौह जी।
सबकेॅ कंधा स्वर्गारोहण
सदा सुहागिन भगवंती
चंदन चिता पंचतत्व मिलले हेॅ
पुत्र मुखानि सदमन्ती।
हम्में अकेॅला विरह वियाकुल,
भीतरे-भीतरे हुकरैॅ छी।
कथा कहानी सभ्भेॅ पुरनकी
कलम चलाय लिखै छी।
किताब छपाय रॅ किंछा तोरॅ
आबे पूरा करभौं जी।
फोटों तोरोॅ रहतै वैमें
अर्पण तोरैह करभौॅजी।
एक किताब तेॅ छपी केॅ अयलै,
बाबा, तोरॅ फोटो छै।
दादी जी केॅ भेलै समर्पण
नींचे तोरे फोटो छै।
सौजन्य आभार तोरैह देलिहौं
इन्तजाम तोरे छे लै।
आखिर सपना पूरा भेलै।
मतुर गुजरला पर ऐलै।
ई सदमा तॅ रहतैय हमरा
कभी न होतै अब पूरा।
चार किताब आरो छपतै जी,
सब मेॅ फोटो भर पूरा।
भोला बाबाँ शक्ति देथिन
सरस्वती जी ज्ञान हे
तभी सफलता मिलतै हमरा
पूरतै सब अरमान हे।
22/07215 अपराहन 12.10 बजे