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केकरा कहबै / कस्तूरी झा 'कोकिल'
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अधरतिया में केकरा जगैबै?
दरद सें डाँटा फाटै छै।
सुतला राती केकरा जगैबै
चान सिताराँ काटै छै।
केकरा कहबै मुँह सूखै छै?
फुरती पानी पिलाबेॅ जी?
केकरा कहबै गरमी लांगै
पंखा जरा डोलाबॅ जी!
चौथापन में बिकट समस्या
पुरुश रहोॅ कि नारी।
बेटा पुतोहू जों बहार छै!
आरो संकट भारी।
बेटा श्रवण, पुतोहू लक्ष्मी,
तब तेॅ भाग्य सराहो।
पोता रहला पर बाते की!
सुख सें समय निबाहो।
कलियुग में ई मिलना मुश्किल
माय बाप सें अब कोन काम?
जहाँ कमैतै मौज मनैतै
खोजतै लेकिन गेहूँ, आम।
27/07/15 से सुप्रभात 4 1/2 बजे