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असकलोॅ खाना निझुआन लागै छै / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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असकलोॅ खाना निझुआन लागै छै।
बढ़ियोॅ-बढ़ियोॅ भोजन बेजान लागै छै।
खाना तॅ खाय छीयै
जीवन बचाय छीयै।
बितला कहानी पर
कलम चलाय छीयै।
फीका-फीका सुन्दर बिहान लागै छै।
असकलोॅ खाना निझुआन लागै छै।
बढ़ियोॅ-बढ़ियोॅ भोजन बेजान लागै छै।
कानोॅ मेॅ बाबूजी
के कही जाय छै?
सूतला में बोली केॅ
के छिपी जाय दै!
कोठली समूचे सुनसान लागै छै।
असकलोॅ खाना निझुआन लागै छै।
बढ़ियोॅ-बढ़ियोॅ भोजन बेजान लागै छै।
फेनू तारा गिनै छीयै
मोॅने-मोॅन गुणै छीयै।
तोरे पीछू घूरै छीयै
कलेजा केॅ चूरै छीयै।
कखनूँ नैॅ कनियोॅ टा कल्याण लागै छै।
असकलोॅ खाना निझुआन लागै छै।
बढ़ियोॅ-बढ़ियोॅ भोजन बेजान लागै छै।

17/10/15 अपराहन साढ़े बारह